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महिला विरुद्ध अपराध

इंस्पेक्टर माया ने एनआईटी-3 स्थित डीएवी कॉलेज में छात्र-छात्राओं को महिला विरुद्ध अपराध के बारे में जागरूक किया
पुलिस आयुक्त विकास कुमार अरोड़ा के दिशा निर्देश के तहत महिला थाना एनआईटी प्रभारी इंस्पेक्टर माया ने अपनी टीम के साथ मिलकर एनआईटी एरिया स्थित डीएवी कॉलेज में छात्राओं को महिला विरुद्ध अपराध के बारे में जानकारी दी गई। इसमें छात्राओं के साथ साथ छात्र भी मौजूद रहे जिन्हें झूठे मुकदमों से बचने के लिए साइबर क्राइम के बारे में जानकारी देते हुए किसी भी प्रकार का गलत कार्य न करने के लिए जागरूक किया गया।
पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि महिला थाना प्रभारी इंस्पेक्टर माया की टीम ने एनआईटी 3 नंबर स्थित डीएवी कॉलेज में छात्रों को महिला व बालिकाओं के विरुद्ध अपराध से संबंधित जूविनाइल जस्टिस एक्ट, पोक्सो एक्ट और भारतीय संहिता की धाराओं से अवगत कराते हुए जागरूक किया।
कॉलेज प्रिंसिपल डॉक्टर सविता ने, इंस्पेक्टर माया और उनकी टीम का स्वागत किया तथा कॉलेज के छात्रों को जागरूक करने के लिए आमंत्रित किया। थाना प्रभारी ने छात्रों को जागरूक करते हुए कहा कि महिलाओं के विरुद्ध घटित हो रहे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए उनका महिलाओं के अधिकार संबंधित कानून के बारे में जानकारी रखना अति आवश्यक है। महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाए गए हैं और यदि कोई भी व्यक्ति महिलाओं पर अत्याचार करता है तो उसके विरुद्ध कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जा सकती है परंतु इसके लिए आवश्यक है कि समय रहते सूचना पुलिस को दी जाए। छोटी उम्र की किशोरियां अपराधों का ज्यादा शिकार होती हैं इसलिए उनका ध्यान रखना अति आवश्यक है। कानून के तहत बालक बालिकाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों के लिए जूविनाइल जस्टिस और पोक्सो एक्ट का प्रावधान किया गया है जिसमें अपराधियों को ज्यादा कड़ी सजा निहित है। महिला विरुद्ध अपराधों में की जाने वाली कार्रवाई में तेजी लाने के लिए महिला पुलिस थानों का गठन किया गया है तथा इसके साथ ही अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए डायल 112 प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है। पुलिस द्वारा महिलाओं और बच्चों के हितों की रक्षा के लिए स्पेशल हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। महिला विरुद्ध अपराध के लिए 1091 और बच्चों के विरुद्ध हो रहे अपराधों के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि यदि वह किसी भी प्रकार का अपराध घटित हुए होते हुए दिखाई दे तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें ताकि समय रहते अपराधी को सजा दिलाकर पीड़ित को न्याय दिलवाया जा सके।
कॉलेज में पढ़ रहे छात्र लड़कों को जागरूक करते हुए इंस्पेक्टर माया ने बताया कि आजकल जिस प्रकार के मुकदमा दर्ज किए जाते हैं उनमें निर्दोष होने के बावजूद लड़कों के पास निर्दोष होने का कोई पर्याप्त सबूत नहीं होता और सबूत के अभाव में उन्हें बहुत अधिक मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और ज्यादातर मुकदमों में उन्हें जेल भेज दिया जाता है। साइबर अपराधों के बारे में जागरूक करते हुए महिला पुलिस टीम ने बताया कि इस युवावस्था में छात्र लड़के लड़कियों की तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ करके इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर देते हैं जोकि आईटी एक्ट की धाराओं के तहत कानूनन जुर्म है और इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है। इसलिए छात्र किसी भी प्रकार का गलत कार्य करने से बचें और अपने साथियों को भी महिला विरुद्ध अपराध के बारे में जागरूक करके उन्हें दंड का भागीदार न बनने के लिए प्रेरित करें।