राज्य स्तरीय वार्षिक साइंस मैराथन का आयोजन
डी ए वी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद में विज्ञान विभाग व गाॅड एंड साइंस क्लब द्वारा राज्य स्तरीय वार्षिक साइंस मैराथन का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि प्राचार्य डाॅ सतीश आहूजा जी ने दीप प्रज्जवलित करके किया। कार्यक्रम की संयोजिका डाॅ अंकुर अग्रवाल ने पुष्प भेंट करके मुख्य अतिथि डाॅ. सतीश आहूजा जी व डाॅ. सुनीति आहूजा जी का स्वागत किया। प्रतियोगिताओं में रंगोली, पोस्टर मेकिंग व पावर पाॅइंट प्रेजेंट का आयोजन किया गया। सभी प्रतियोगिताओं का विषय ‘‘भविष्य में विज्ञान के महत्व’’ पर था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ सतीश आहूजा जी ने कहा कि विज्ञान के छात्रों पर भविष्य की जिम्मेदारी निर्भर करती है। उन्होनें एडिसन, आइंसटाइन आदि का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि व्यक्ति चाहे तो किसी भी परिस्थिति में अपनी प्रतिभा को निखार कर सफलता प्राप्त कर सकता है। उन्होनें गीता का उदाहरण देकर कहा कि हमें कर्म प्रधान बनना चाहिए। यदि हमारा कर्म अच्छा है तो जीवन में सफलता अवश्य मिलेगी।
साइंस मैराथन की प्रतियोगिताओं में हरियाणा के विभिनन जिलों से 12 काॅलेजों ने भाग लिया। रंगोली प्रतियोगिता में सरस्वती काॅलेज, पलवल की करिश्मा प्रथम और के. एल. मेहता दयानन्द की आसमा द्वितीय व गर्वमेंट काॅलेज तिगांव की शिल्पा तृतीय स्थान पर रही। पोस्टर मेकिंग में के. एल. मेहता की तान्या प्रथम गर्वमेंट काॅलेज वूमेन, बल्लभगढ़ की कोमल द्वितीय व खेंड़ी गुजराल की दिव्या गर्वमेंट काॅलेज मोहना की रजनी तृतीय स्थान पर रही। पावर पाॅइंट प्रेसेंटेशन में अग्रवाल काॅलज की सोनल प्रथम, नेहरू काॅलेज फरीदाबाद का विकास द्वितीय व के. एल. मेहता दयानन्द की रेनू कौषिक तृतीय स्थान पर रही। ओवर ऑल ट्राॅफी की विजेता के. एल. मेहता दयानन्द की टीम रही। कार्यक्रम की कार्य कारिणी सचिव डाॅ राजकुमारी व पूजा शर्मा रहे।
साथ ही प्राचार्य डाॅ. सतीश आहूजा जी के काॅलेज में प्राचार्य की जिम्मेदारी को सफलता पूर्वक संभालते हुए 14 वर्ष पूण होने पर समस्त स्टाफ द्वारा हवन का आयोजन किया गया। इसी श्रंखला में श्री कृपा सागर इंचार्ज पब्लिकेशन, संत निरंकारी मिशन नई दिल्ली की विशेष उपस्थिति रही । उन्होनें काॅलेज के सर्वागीर्ण विकास के लिए प्राचार्य को बधाई देते हुए भविष्य के लिए सुभकामनाएँ दी । काॅलेज के समस्त स्टाफ ने प्राचार्य महोदय को बधाई व धन्यवाद देते हुए प्राचार्य के रूप में 14 वर्ष स्वर्णिम समय को सरहा |