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संस्कृति तथा संस्कारों की श्रेष्ठता

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बना सकती है भारत को विश्वगुरु-स्वामी अद्वैतानंद गिरी जी फरीदाबाद। डीएवी शताब्दी महाविद्यालय फरीदाबाद के सभागार में ऑल इंडिया ऑफ वॉइस चांसलर एंड एकेडमीन्स नई दिल्ली और यूथ क्लब एंड संस्कृत सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में स्वराज का अमृत महोत्सव 2022 के अंतर्गत भारतीय संस्कृति एवम संस्कारों की श्रेष्ठता विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि जे सी बोस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एस के तोमर रहे। विशिष्ट अतिथि एआईएवीसीए के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जेएनवीयू के पूर्व कुलपति डॉ लोकेश शेखावत रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएवी कॉलेज की प्राचार्य डॉ सविता भगत ने की। एआईएवीसीए के महासचिव डॉ रणदीप सिंह तथा डॉ प्रकाश मिश्रा जी भी मंचस्थ रहे। सर्वप्रथम अतिथियों ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डॉ अमित शर्मा द्वारा सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। एआईएवीसीए के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश शेखावत ने संस्था के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में कोई बड़ा-छोटा नही है। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना ही भारतीय संस्कृति की विशेषता है। मुख्य वक्ता स्वामी अद्वैतानंद गिरी जी महाराज ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज भी व्यक्ति की अपनी आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान ही है लेकिन लोग रेस में भारतीय संस्कृति एवम संस्कारों की श्रेष्ठता के मूल्य को खो चुके हैं। लेकिन हम भारतीय हैं हमें इन मूल्यों को अपने जीवन में फिर से उतारना होगा। उन्होंने मानसिक तनाव को दूर करने के उपायों को बताया तथा योग प्रक्रियाएं भी कराई। मुख्य अतिथि एस के तोमर ने कहा कि जब हम अपने मन को शांत करना सीख लेते हैं तभी हम शिक्षित हो जाते हैं। माता-पिता द्वारा ही सर्वप्रथम बच्चे में संस्कारों का समावेश कराया जाता है। वही बच्चे के प्रथम गुरु हैं। डॉ प्रकाश मिश्रा ने भी भारतीयों जीवन मूल्यों को प्रकाशित करते हुए धर्म की व्याख्या पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षा महाविद्यालय की कार्यकारी प्राचार्य डॉ सविता भगत ने अपने उद्बोधन में कहा कि योग भारतीय संस्कृति की विश्व को देन है योग साधक ही अनुशासन में रह सकता है ओर जो अनुशासन में रहना सीख गया उसका जीवन सफल है। पंचतत्वों से बना यह शरीर पंचतत्वों में ही विलीन हो जाता है और भारतीय संस्कृति में इन पांच तत्वों की पूजा की जाती है। डॉ रणदीप सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ अमित शर्मा ने किया। अंत में राष्ट्रीय गान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर प्रो मुकेश बंसल,डॉ अंजू गुप्ता,डॉ सुरभि,डॉ मीनाक्षी हुड्डा, डॉ अंकिता मोहिंद्रा, मैडम ममता, मैडम नीति नागर, श्री इ एच अंसारी,श्री दिनेश चौधरी आदि विभिन्न विभागों के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्तिथ रहे।